Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

मधु प्रधान मधुर

Abstract

4  

मधु प्रधान मधुर

Abstract

बचपन से पचपन तक

बचपन से पचपन तक

1 min
314



 जब पहुंचे पचपन में

 याद बहुत आया तब

 अपना बीता नायाब

 मदमस्त जमाना

 कैसा सुंदर बचपन था

 सखियों के संग पल पल

 समय मस्ती भरा बिताया

 घर-घर अनुशासन बहुत कड़ा था

 दीया जलते ही बच्चों को

 घर अपने जाना ही पड़ता था

 समय पाबंदी का अनुपालन

 हर्षित हो हम सब करते

 आज्ञाकारी बच्चे कहलाते

मामा,चाचाओं और मौसी

 के बच्चों के संग मिलकर

 दिन भर धूम मचाते 

 नाना खेलों का खुश हो

 करते आयोजन थे

 सांसारिक गतिविधियों ने

 होड़ लगाई ऐसी

 विवाह बंधन में बंधे सभी

 सीमित हुआ हुड़दंग

सिमट गये छोटे परिवारों में

 दुख दर्द भी प्रकट करना

 हुआ दूभर बहुत

 हुये स्वार्थी सब लोग

 वृद्धों का साया छूटा

 आसमान से तारा टूटा

 बचपन से पचपन बन गया     

बीता अपना एक जमाना।।


   


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract