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Madhu Pradhan

Others Abstract

4.0  

Madhu Pradhan

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सूर्य पुत्र,सर्प,लो आगयी बरसात

सूर्य पुत्र,सर्प,लो आगयी बरसात

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श्री शिवनारायण जौहरी विमल

पालने का पराक्रम             

हर बार दिखाया तुमने

युग पुरुष के आगमन

का शंख बजाया तुमने

यशोदा के लाल श्रीकृष्ण।

 

खेल में फोड़ कर मटकी,

नकार राजा की बपौती

लुटा कर गाँव का माखन

कंस मामा को दी चुनौती। 

क्रांतिकारी कृष्ण

 

रास लीला और बंसी से

जन जागरण कर ब्रिज में  

छीन ली कंस से ब्रिजभूमि

ग्वालो के सखा श्रीकृष्ण।    

 

अपदस्त को बना कर राजा

 सिंधु तट पर बसाई द्वारिका

कंस और शिशुपाल ने अपने

अंत को स्वयं आमंत्रित किया

और किसी को छुआ तक नहीं 

गीत गाया महाभारत में

जीवन के संघर्ष का उपनिषद

अर्जुन के सारथी

श्री कृष्ण।


       (दो)


यह कैसा न्याय मेरे नाथ

खूनी के सर पर तुम्हारा हाथ

फोड़ दो भ्रमित पापिन आंख 

जिस को पैर की मणि में 

आँख का भ्रम हो गया

काट दो यह हाथ दोनों

किया शर संधान जिनने

रो रहा था बहेलिया खूनी

घायल कृष्ण के पैरों तले।

अस्त होते जा रहे श्री कृष्ण

 

दो तारिकाएँ उतर कर आगई

रोशनी से जल उठा जंगल  

राधा ने गोद में सिर रख लिया

बालों में उँगलियाँ चलने ;लगीं

सुदामा चोट सहलाने लगे।

प्यार के अवतार थे श्रीकृष्ण


लाए गए जब द्वारिका तट पर 

आगया तूफान सागर में

जैसे कृष्ण के साथ

द्वारिका भी डूब जाएगी।।।


श्री शिवनारायण जौहरी विमल




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