Madhu Pradhan
Inspirational
नारी शक्ति ही
नारी का रूप।
जहां वह सौम्य
सहज सुंदर है
वहीं उसका
रौद्र रूप भी है।
मां
करोना समय में...
होली
बचपन से पचपन ...
चंद्रमा एक, व...
सूर्य पुत्र,स...
नारी का रूप ...
नारी का रूप २...
चलो चलें सूरज...
ज्वार-भाटा आने से सहायता प्राप्त होती है। मछली पकड़ने वालों को बड़ी प्रसन्नता होती है ज्वार-भाटा आने से सहायता प्राप्त होती है। मछली पकड़ने वालों को बड़ी प्रसन्नत...
कभी धूप में तो कभी हीटर में बेदर्दी सर्दी दूर की जाती है। कभी धूप में तो कभी हीटर में बेदर्दी सर्दी दूर की जाती है।
मानवता के खरे सोने पर चढ़ा बैठे, भ्रष्टाचार अन्याय धर्मांधता की धूल..! मानवता के खरे सोने पर चढ़ा बैठे, भ्रष्टाचार अन्याय धर्मांधता की धूल..!
माथे तिलक लगा लेने से, कोई संत नहीं बन जाता। माथे तिलक लगा लेने से, कोई संत नहीं बन जाता।
नज़रें उठाओ ...अपने आप को गिरी हुई नज़रों से बचाओ नज़रें उठाओ ...अपने आप को गिरी हुई नज़रों से बचाओ
मन में यदि पाने का संकल्प पक्का होगा जीवन अपने आप सुखद खुशहाल होगा मन में यदि पाने का संकल्प पक्का होगा जीवन अपने आप सुखद खुशहाल होगा
पर अपने पंख ये ऐसे फैलाना चाहता है, चीर कर उसको दिखाना चाहता है ! पर अपने पंख ये ऐसे फैलाना चाहता है, चीर कर उसको दिखाना चाहता है !
ज़िंदगी कह देती है चुपके से पास खड़ी हूं, तू बुला तो सही। ज़िंदगी कह देती है चुपके से पास खड़ी हूं, तू बुला तो सही।
अपनी कार्यक्षमता बढ़ाओ और कुछ सुधार करो। अपनी कार्यक्षमता बढ़ाओ और कुछ सुधार करो।
नीले - खुले आसमान में अब काली घटा छानी थी नीले - खुले आसमान में अब काली घटा छानी थी
जुबां पर उसकी इंकलाब का नारा था, वह भगत सिंह सबसे प्यारा था।। जुबां पर उसकी इंकलाब का नारा था, वह भगत सिंह सबसे प्यारा था।।
चीन वुहान से उठा था एक मंज़र, पूरे विश्व में दिखा था मौत का मंज़र। चीन वुहान से उठा था एक मंज़र, पूरे विश्व में दिखा था मौत का मंज़र।
जब हमारा एकलव्य सा लक्ष्य हो जब हम आत्मा की गहराइयों से इसे पाना चाहते हैं जब हमारा एकलव्य सा लक्ष्य हो जब हम आत्मा की गहराइयों से इसे पाना चाहते हैं
प्राणायाम के अभ्यास से शरीर, मन, बुद्धि और इन्द्रियों पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है। प्राणायाम के अभ्यास से शरीर, मन, बुद्धि और इन्द्रियों पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है...
दूर उधर जहाज़ में बैठे -बैठे तुम सोच रहे हो मुझको क्या है दूर उधर जहाज़ में बैठे -बैठे तुम सोच रहे हो मुझको क्या है
मन की बेचैनी बुढ़ापा कहलाती है, रात तो तारे गिनने में चली जाती हैं मन की बेचैनी बुढ़ापा कहलाती है, रात तो तारे गिनने में चली जाती हैं
बिन बोले ही बेवजह छोड़ रहे हो आप मेरा हाथ।। बिन बोले ही बेवजह छोड़ रहे हो आप मेरा हाथ।।
जरा एहतियात से रहना , ताकि दोस्तों में छुपे दुश्मन को पहचान पाए! जरा एहतियात से रहना , ताकि दोस्तों में छुपे दुश्मन को पहचान पाए!
नहीं कर तू अब इस कदर छल, जीवन ही दुख से भर जाएगा। नहीं कर तू अब इस कदर छल, जीवन ही दुख से भर जाएगा।
वैरी पर आफताब, मित्र महताब रहे तू।। वैरी पर आफताब, मित्र महताब रहे तू।।