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Nand Kumar

Inspirational

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Nand Kumar

Inspirational

मां की ममता

मां की ममता

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त्याग प्रेम करुणा दया, 

का है मां आगार।

मां के बिन इस जगत मे ,

जीवन को धिक्कार ।।


कष्ट घिरत जब पुत्र तब ,

मां ही होत सहाय ।

हर मां ये ही चाहती दुख 

दुख सन्तति ना पाय ।।


निज से भी रखती अधिक ,

निज अंशों का ध्यान ।

पावौ सुख सम्मान जग,

उसका यह अरमान ।।


मन्दिर मस्जिद जाय के,

मांगे तेरी खैर ।

राखि मास नव गर्भ मे ,

करहि प्रेम नहि बैर ।।


जन्मे शिशु तव मात को, 

निधि सबही मिलि जात।

बाजे मंगल साज सब ,

हर्षित लखि शिशु गात ।।


जब रोबे शिशु मात तब ,

कोटिन जतन कराहि ।

बिस्तर जब गीला करे ,

खुद गीले मे जाहि ।


पीकर खुद जो नीर को , 

करवावै पय पान ।

माता है जग मे सुह्रद , 

सुख की अनुपम खान ।।


माता को निज देत दुख ,

वे है असुर समान ।

दुख पाते वे सब सदा, 

तिनहि बिलोकत हान।।


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