STORYMIRROR

Nand Kumar

Inspirational

4  

Nand Kumar

Inspirational

नदियां

नदियां

1 min
17



नदिया अरु जीवों का नाता जग में अति प्राचीन ।

नदियों के तट पर ही विकसित हुए हैं नगर नवीन ।।

शुद्ध मधुर जल से सिंचित हो फसलें हैं लहराती ।

पशु पक्षियों को जल देकर उनकी प्यास बुझाती ।।

धार्मिक औद्योगिक सारे ही नगर हैं इनके तट पर ।

धर्म और व्यापार को गतिमय करतीं नदियां भू पर ।।

इनके ही गहरे जल में हम नावों पर विचरण करते ।

होकर मगन ह्रदय में अपनें अतुलित सुख को भरते ।।

बङे बङे बांधों पर इनके जल से ही है विद्युत बनती ।

विविध यन्त्र चलते उससे वह जग के तम को हरती ।।

नदियों से ही नहर बनाकर दूर दूर जल को ले जाते ।

जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में जलधारा ले आते ।।

हम सब जग के मानव को नदिया है यह बतलाती ।

कोमल ह्रदय सरस हो वाणी गतिमय रहना सिखलाती ।।

सीमाओं में रहो सदा मत सीमा को अपनी तुम तोङो ।

तृप्त नदी सा करो सभी को सब को आपस में जोङो ।।

नदी नीर से बनकर हे नर परहित में सुख को पाओ ।

रुको न क्षण भर बहो निरन्तर सब को सुख पहुंचाओ ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational