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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

क्रोध

क्रोध

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विकार के होते पांच बच्चे

सभी मचलकर संघर्ष करते।

काम के उद्दीप्त होने से

क्रोधाग्नि प्रज्वलित होती।

मोह अंहकार के घृत से

क्रोध गरल बन जाता।

लोभ पर सवार क्रोध से

सर्वस्व सर्वनाश हो जाता।

अनिष्ट की कल्पना से

व्यक्ति सूक्ष्म रूप से सचेत होता।

लेकिन उत्तेजित क्रोध से

मानसिक तनाव जन्म लेता।

तांडव नृत्य माधुर्य लील लेता

भय भाव वश व्यक्ति से 

जन मानस दूर भागता।

अंतर बाह्य प्रदूषण से

क्रोध हाहाकार मचाता

समाज विघटन के भिन्न रूपों के

मूल में बैठा क्रोध गर्जना करता।

संवादों की समाप्ति से

स्नेह मर्म रसातल में जाता।

आत्म नियन्त्रण का अभ्यास

संबंधों की दूरी मिटाता।

शिव परमात्मा की स्मृति से

प्राप्त बुध्दि की प्रखरता।

विकारो से सन्यास करने वाले

जीवन के सच्चे सुख के 

अधिकारी होते।



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