गणतंत्र दिवस फिर आया
गणतंत्र दिवस फिर आया
गुलामी की जंजीर तोड़
आजादी की थाम डोर
हमें नयी रौशनी दिखाने वाला
गणतंत्र दिवस फिर आया।
शौर्य गाथा वीरता की
हुंकार पूर्वजों की विद्वता की
हमारी रगों में नया जोश भरने
गणतंत्र दिवस फिर आया।
अनेकता में एकजुटता के बल पर
निरंकुश सत्ता को तोड़कर
लोकतंत्र की गंगा बहाने वाला
गणतंत्र दिवस फिर आया।
सुसुप्त अभिमान को जगाने
खोये गौरव को फिर से पाने
वंचित होंठों पर मुस्कान लाने
गणतंत्र दिवस फिर आया।
हम भारतीयों को हर्षाने
परिश्रम, ज्ञान, विज्ञान के बल पर
अंधविश्वास मिटाने का संकल्प दिलाने
गणतंत्र दिवस फिर आया।
विविधता में एकता का फिर
सबके हृदय में फूल खिलाने
सोये शेरों को जगाने
गणतंत्र दिवस फिर आया।
