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Vaishnavi Suryawanshi

Inspirational

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Vaishnavi Suryawanshi

Inspirational

मिलो दूर की बातें

मिलो दूर की बातें

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रात के इत्मीनान में,

मैं और चाँद

मीलों दूर 

बातों में खो गए


मैंने पूछा चाँद से

घिरी हुई हूँ लोगों से

लेकिन नहीं पहुँचती मेरी आवाज़ उनके पास

क्यों बन जाती हूँ में अदृश्य


अगर एक पेड़ लता का सहारा बन सकता है

तो मुझे सहानुभूति तक क्यों नहीं दे पाता कोई

क्यों नहीं मिलता कोई सहारा

बाते बस कहने की है क्या?


प्रश्न सम्मिलित करते हुए

शांत गहरे आसमान में

चांद मुस्कराते हुए

कुछ बाते बताने लगा


घिरा हुआ हूं मैं सितारों से

ना वो मुझे देखते हैं ना सुनते हैं

मैं उन में से एक नहीं हूं

मुझे बस में दिखता हूं


नहीं करता मैं किसी से कोई अपेक्षा

समरूप अनगिनत सितारे

मैं अकेला लेकिन अनोखा

सीख गया मैं

चमकने के लिए सहारा आवश्यक नहीं


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