प्यार
प्यार
ढाई अक्षर का ये बंधन
निभाना है पूरा जीवन
इसके बिना शून्य है जीवन
समझे तो जीवन पावन
ममता है मां के प्यार का नाम
वात्सल्य है सगे के प्यार का नाम
स्नेह है दोस्तों के प्यार का नाम
वासना है प्रेमी के प्यार का नाम
भक्ति है भक्त के प्यार का नाम
मुक्ति है विरागी के प्यार का नाम
ज्ञान है पंडित के प्यार का नाम
भोलापन है शिशु के प्यार का नाम
जन्मांतर का अनुबंध है
पति पत्नी का प्यार
होता है स्वर्ग में पहले से
मिलन का स्वीकार
समझकर तैरना है जीवन का सागर
आपस में हो बंधन अपार
करते हुए क्रोध ईगो का संहार
दोनों में रहे गुण मिलन सार
हो विचार धारा दोनों में एक समान
चूंकि लौकिक नहीं है ये बंधन
अलौकिक है पति पत्नी का मिलन
जैसे परमात्मा से आत्मा का मिलन।
