आज़ादी
आज़ादी
मिली है आज़ादी किसको
भूखे, नंगे, दरिद्र लोगों को
मिटा है भेद भाव छूकर मन को
क्या दिखा रहा है सपना मचलते मन को
जहुं देखूं तहुं हरियाली
उछल रहे हैं बच्चे निहाली
भर गया मन देखकर यह दीवाली
क्या शाश्वत रहेगी यह बहाली ?
खुली आंखें जब सपनों से
भरा था जग पूरा दुखी मन से
सोचा मन कैसे पाए निजात इससे
आया विचार मन के खयाल से
हमें है जिम्मेदारी इसे ठीक करने की
विश्व को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की
सबके साथ समानता से व्यवहार करने की
सबके मन में प्रेम भाव जगाने की।
