मां
मां
मां ही जीवन शीतल छाया ,
मां की जग में सारी माया ।
मां से मिली है सुन्दर काया ,
मां का सब में नूर समाया ।।
मां ही ईश्वर भाग्य विधाता ,
अतुलनीय है मां से नाता ।
मां का जो दिल नहीं दुखाता ,
उसका जन्म सफल हो जाता ।।
मां ही सहायक मां ही शिक्षक ,
सबकी रक्षक संतति पोषक ।
परम हितैषी मधुर भाषिणी ,
जीवन का हर पहलू रोचक ।।
फ़र्ज़ निभाती ख्वाब सजाती ,
हर दुख अभाव में मां जीती।
कभी मिटेगी दुख की रजनी ,
इसी आश में है वह हंसती ।।
मां की महिमा कही न जाए ,
मां का प्यार है मन को भाए ।
पिता गगन तो मां है धरणी ,
मां ही है हम सब की जननी ।।
