Nand Lal Mani Tripathi

Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi

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कारगिल युद्ध के इक्कीस वर्ष

कारगिल युद्ध के इक्कीस वर्ष

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तूफानों से लड़ना है तो

जीना सीखो जीना है मारना सीखो।।                


जवां जोश के 

गुरुर से डरना सीखो

हस्ती की हद नहीं,हद खुद

तय करना सीखो।।


अरमानों का आसमाँ,

आँसमा से आगे अरमानों को

हासिल करना सीखो।।


जूनून मकसद का, मकसद

की राहों में गर आ जाए कोईं

मुश्किल तोड़ हर मुश्किल राहों

की हासिल मकसद करना सीखो।।


दुश्मन की शातिर चालों में 

फसना नहीं निकालना सीखो।।


अंगार तुम नौजवान तुम जवां

हौसलों की उड़ान में उड़ाना सीखो।।


ताकत की गर्मी बेजा ना 

जाए नफ़रत से नफ़रत में जीना

सीखो।।


बदल सकते हो दुनिया ,

दुनिया बदलेगी कैसे दुनिया

बदलना सीखो ।।         


मिटा दो हस्ती को अगर तू मर्तवा चाहे

ख़ाक से गुलो गुलज़ार बुनियाद तुम ,

दुनिया के दर्द आंसूओं ग़म जहर को पीना सीखो।।


हर इंसान में आते तुम एक बार

हर जान में जागते एक बार

आने जागने का फर्क फासला

समझो।।


मिटा दो या मिट जाओ 

दुनिया की तारीख पन्नों

का अल्फाज बनाना सीखो।।


यूँ ही नहीं लिखी जाती लम्हों

की लकीरे लम्हों की लकीरो

की इबारत की इबादत करना

सीखो ।।


मोहब्बत जिंदगी का फलसफा

इश्क आशिकी दीवानापन तरन्नुम

तराना जायज जिंदगी से इश्क का

कलमा गीता कर्म ज्ञान का

पड़ना सीखो।।


वक्त बदलता रहता है ,लम्हा

लम्हा चलता रहता लम्हा लम्हा

चलते वक्त में अपना वक्त बदलना सीखो।।


वक्त गुजरता जाएगा वक्त की

तकदीर् बदलना सीखो

चिंगारी तुम ज्वाला काल कराल

विकट विकराल तुम वक्त के

फौलाद नौजवान तुम।।


तुम हिम्मत की धार, तुम तूफां

की बौछार, तुम वक्त के हथियार

तुम नौजवान, बेजा ना जाए जवानी की

रवानी रहो होशियार तुम।।


ढल गयी गर जवानी न कहलाओ

कचरा कबाड़ तुम कुछ नए जोश

जश्न में गुजरो दुनियां में रहो

महेशा नौजवान तुम।।


साँसों की गर्मी ज्वाला से

तेरे मंज़िल राहो को पथ अग्नि

बदल डाले जँवा मस्ती में

कुछ तो ऐसा कर डालो।।


मिट्टी के माधव मिट्टी में ना

मिल जाओ नया इतिहास रचो

बाज़ीगर जादूगर बाज़ अरबाज़ तुम।।


जमी पे जन्नत की सूरत का

नया ज़माना नौजवान तुम।।


हसरत का पैमाना हकीक़त

का मैखाना नए कलेवर का

नक्शा नशा शाराब तुम।।


सवाल नहीं कोई ऐसा, खोज

सको न जबाव तुम ,

नहीं कोई समस्या पाओ नहीं निदान तुम।।


जज्बा जमाने का, वक्त का कौल

तुम, तेरे ही कदमो की दुनिया बेमिशाल तुम ।।


जवानी की रावानी के समंदर

न बन पाये तेरी गागराई जहाँ

का सुकून तेरे रहने ना रहने को

दुनिया कैसे समझ पाये।।


अवसर को उबलब्धि में 

बदलना सीखो नौजवान

तुम, गिरना और संभालना

सीखो।।


नौजवान तुम इरादों के

चट्टान राई से पहाड़ मौका

को मतलब पर मोड़ना सीखो।।


खुद के रहने

के वर्तमान रच डालो ऐसा

इतिहास दुनिया की तारीखों

के पन्नों को दुनिया की राहों के

रौशन चिराग नौजवान तुम।।


इक्कीसवी सदी के आवाज़

आगाज अंदाज़ को समर्पित



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