आजादी की कहानी
आजादी की कहानी


भारत देश हमारा सोने की चिड़िया कहलाता था
अंग्रेज व्यापारी बनकर इस सोने की चिड़िया के पंख कुतरने आया था
लंबे समय तक देश हमारा अंग्रेजों का गुलाम बना रहा
अनेकों वर्षों तक उनके अत्याचार और गुलामी को सहता रहा
कितनी सहते गुलामी अंग्रेजों की फिर एक क्रांति की मशाल जली थी
आजादी की यह कहानी सन 1857 से शुरू हुई थी
आजादी पाने को कितने वीरों ने अपनी जान गवाई थी
न जाने कितने वीर सपूतों के रक्त से धरती लाल हो गई थी
अंग्रेजों ने हमें अपने ही देश में गुलाम बनाया था
जातिवाद और धर्म के नाम पर हमें आपस में लड़वाया था
पर मजबूत था इरादा भारत के वीर सपूतों का
लिया था संकल्प भारत को आजाद कराने का
क्रांति की एक मशाल जली और जंग छेड़ दी वीरों ने
अंग्रेजों को बाहर निकालने की ठान ली थी सुरवीरों ने
कितने वीर सपूत हंसते-हंसते चढ़ गए फांसी के फंदे पर
कितने जेल गए और कितनों ने गोली खाई सीने पर
कितनी मांओं के खाली हो गए कोख और कितनो की मांग हो गई खाली
कितने मासूम यतीम हो गए और न जाने उनमें कितनी बहनों की थी राखी
क्रांति की जो ज्वाला उठी देश में वह एक नया रंग लाई थी
लाखों वीर सपूतों के बलिदान के बाद हमने यह आजादी पाई थी
15 अगस्त सन 1947 को हमारे देश ने आजादी पाई थी
उस दिन सृष्टि के कण-कण ने स्वतंत्रता की सांस भर आई थी
क्या होती है आजादी उस दिन हमने महसूस किया था
देकर अपना बलिदान वीरों ने देश को महफूज किया था
याद रखेंगे हम सदा उन वीरों के बलिदान को
कम ना होने देंगे कभी भारत मां की शान को।