Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rashmi Arya

Inspirational

4  

Rashmi Arya

Inspirational

शहीदों की कहानी

शहीदों की कहानी

2 mins
696



आओ एक कहानी सुनाती हूँ,

अपने वीर पति की कहानी

जुबानी मैं बतलाती हूँ।

कहते थे मुझे वो,

कि तुमसे बहुत मुहब्बत है,

लेकिन जितनी भी मुहब्बत है

उससे कहीं बढ़ कर

अपनी भारत माँ से मुहब्बत है।


चले गए थे वो छोड़ बिलखता

चले गए थे वो हमें छोड़ बिलखता

माँ भारती की करने को रक्षा,

ना जाने कहाँ से पाया उन्होंने

मातृभूमि के लिए इतना जज्बा,

कहते थे हमसे देश के लिए जान भी

न्योछावर कर दूँ

तो ये भी बहुत है कम

परिवार दोस्त और प्यार ये सब बहुत है मुझे प्यारे

लेकिन जहाँ माँ भारती की बात आयी

वहाँ ये सब हो जाते है न्यारे,


मुस्कुराते हुए चल दिए थे रण में,

छोड़ गए थे वो हमें अकेला एक क्षण में,

खत भी लिखा करते थे,

खत से ही प्यार हमें भेजा करते थे,

खत पढ़ कर ही उन्हें महसूस मैं करती थी,

उनकी खुशबु अपने दामन में भरती थी,

आया एक वक्त ऐसा भी,

जब छिड़ा था युद्ध कारगिल में,

उनका खत कोई ना आया,

अजीब सा डर बैठ गया था मन में,

जहाँ देखो वहीँ थी युद्ध जीतने की उम्मीद,

सैनिक हो गए घायल कुछ,

कुछ हो गए देश के लिए शहीद,

खबर सुन मन में एक उठा था तूफान,

कहीं मेरी मुहब्बत न ले ले मेरा इम्तहान,

रह रह कर अजीब से ख्याल आते थे मन में,

दर्द भी था बहुत, बहुत डर भी था ज़हन में,

डर डर में ही कटी थी रात,

कहीं मेरी ज़िंदगी ही न दे जाए मात,


भोर हुई, अभी भी था उनके खत का इंतजार ,

कोई खत तो ना आया लेकिन सुनने में आयी

एक भीड़ की चीत्कार,

कुछ आये बुलाने को लोग,

सांत्वना भी जता रहे थे लोग,

डर से कांपती मैं, देखा जो भी मैने,

एकदम से शून्य रह गयी थी मैं,

कभी था मुझे उनके खत का इंतजार,

खत तो ना आया, आये थे तिरंगे में लिपटे हुए

खत्म करने मेरा इंतजार,

सूना कर गए थे वो अंगना,

बना कर मुझे वीर की वीरांगना,

बहुत हमदर्दी जताने लगे थे लोग,

वीर की विधवा बुलाने लगे थे लोग,

विधवा नहीं हूँ मैं तो वीर की वीरांगना

जो हो गए थे शहीद, बचाने भारत माँ का अंगना,


ठोक कर सीना अपना,

कह सकती हूँ,

कर गए थे वो पूरा अपनी माँ भारती को

बचाने का सपना,

मान थे वो मेरा, सम्मान भी थे वो

क्यों कि इस भारत माँ की जान थे वो।

अपनों की रक्षा के खातिर,

जान का बलिदान दे गए थे वो,

आओ आज एक बार फिर से कहानी सुनाती हूँ,

अपने वीर पति की कहानी अपनी ज़ुबानी मैं बतलाती हूँ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational