ग़जल, कविता, कहानी सब इसमें समायासाहित्य का इसने अपार समंदर बनाया । ग़जल, कविता, कहानी सब इसमें समायासाहित्य का इसने अपार समंदर बनाया ।
यही संकल्प कर ले तू फिर आना कुंभ मेला। यही संकल्प कर ले तू फिर आना कुंभ मेला।
प्रकृति के हर रूप को सहर्ष गले लगाएँ... प्रकृति के हर रूप को सहर्ष गले लगाएँ...
सुत सुती की जान होती। माँ तो माँ होती। सुत सुती की जान होती। माँ तो माँ होती।
काश एक बार फिर वह हो पाता हरा भरा वैभव सम्पदा से भरा पूरा। काश एक बार फिर वह हो पाता हरा भरा वैभव सम्पदा से भरा पूरा।
यही मेरी स्त्री शक्ति की पहचान हैं यही मेरी स्त्री शक्ति की पहचान हैं