कुंभ मेला
कुंभ मेला
संक्रांति पर विशेष स्नान
कुंभ है महान,कुंभ है महान
अमृत की बूंदों से उपजा श्रेठ
अमर है यह।
वरदान अध्यात्म यह कहता है
विश्वास है अपना-अपना
पर मात्र डुबकी लगा लेने से
गंगा जी मे कर्मों
की गति न उलट जाएगी।
वही तो एक सम्पदा है
जैसी करनी, वैसी भरनी
वही तो तेरे साथ जायेगी
तो पावन सलिला।
गंगा कोन मैला कर रे प्राणी
पावन कुंभ की आस्था
पर न फेर तू पापों का पानी
सदवृति, सदभावो,सद्कर्मो
की है ये बेला।
यही संकल्प कर ले तू
फिर आना कुंभ मेला
फिर आना कुंभ मेला।