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Abhishek Nema

Abstract

4.0  

Abhishek Nema

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माँ तो माँ होती हैं

माँ तो माँ होती हैं

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माँ तो माँ होती।

माँ की न मे भी हाँ होती।। १


खोल कलेजा ममता देती।

बदले मे कुछ नही लेती। २


लपेटे शक्कर घी रोटी।

नहलाये बांधे लंबे चोटी।। ३


बाल रूप जब भूख सताती।

अन्नपूर्णा मधु भोग लगाती।। ४


माँ तो माँ होती।

मानो जीवन ज्योति।। ५


काम पे काम निकालती।

कुछ नही हुआ अभी।। ६


सब कुछ पूरा करके।

ऐसा भ्रम वो पालती।। ७


कच्चे बीज मे संस्कार बोती।

हर पीड़ा की ढाल हैं होती।। ८


दर्द हरारत पीड़ा जब होती।

माँ की गोद आई. सी. यू होती।। ९


अनकहीं तकदीर लिख देती।

सुख देकर दुख की छाँव लेती।। १०


भोर अँधेरा माँ से होती।

माँ तो माँ होती।। ११


भूल को भूल वो जाती।

डपटकर गले लगाती।। १२


माँ जब खुश हो जाती।

तीनो लोक सम्पदा आती।। १३


ईश शक्ति अंतर्मन आती।

ब्रह्म विष्णु भोले समाती।। १४


सुत सुती की जान होती।

माँ तो माँ होती।। १५


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