शहीद पुकारे
शहीद पुकारे
हकीकत कहूँ या चुप रहूँ।
सियासत का ये हाल है।।
क्या कहूँ, किससे कहूँ।
भेड़ पीछे भेड़िये की खाल है।।
बोलना चाहूं तो कान बंद है।
भीड़ मे पुकार मंद हैं।।
औपचारिक थे क्या।
दिवस गणतंत्र हमारे।।
लहराते झंडे, शहीद पुकारे।
कहा गये देशभक्त लाल हमारे।
आत्मा जागे तो उठ जाना।
माँ भारती की सेवा मे लग जाना।
परिवार एक है बँधु नेक है।
रंग, भूषा, भाषा अनेक है।।
फिर क्यों लड़ते हो।
नफरत के बीज गढ़ते हो।।
उठो गले मिल जाओ।
बढ़ो दूजे को बढ़ाओ।।
भूल गये माँ का सपना।
सोने की चिड़िया सा घर अपना।।
सेना मे जब तुम आओगे।
दुशमन को धूल चटाओगे।।
जीत होगी तो शान बढ़ेगी।
भारतमाता की आन बढ़ेगी।
बलिदान दिया तो शहीद कहलाओगे।
नमन करेगी दुनिया पवित्र तिरंगा लिपटाओगे।।
