प्रियतम प्यारी
प्रियतम प्यारी
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हे, प्रियतम प्यारी।
मृगनयनी सुकुमारी। १
सावन सी झूमती आई।
पुष्प कलियों को चूमती लाई। २
आम्र कुंज से अधर रसीले।
नयन कटीलेझना लागे बहता गजरा। ५
संध्या घूँघट लगी उठाये।
देख तरू पुष्प लुटाए। ६
मधु कलश सा घड़ा हैं जिसका।
स्वर्ग अप्सरा नाम हैं उसका। ७
रूठ के तुम जो सकुचाई।
सागर लहरे पीछे जाई। ८
ग्रीष्म ऋतु सी तुम चली जाई।
विरहा वर्षा अश्रु बहाई। ९
सारी रतिया नींद न आई।
सिसक सिसके ओस टपका ई। १०
तू तो ना आई सजनी।
तेरी याद सताइ। ११
विरह वेदना अकुलाई।
सरिता से अश्रु बहाई। १२