स्त्रीत्व का सूर्यत्व

स्त्रीत्व का सूर्यत्व

1 min
6.8K


मेरे अस्तित्व की बात करते हो !

वो न 'तुम ' से है , न ‘ किसी ‘ ओर से है ।

वो बस मेरी ' सम्पदा ' है ।

तुम " सूर्य " हो ! तो मैं भी “ धरा “ हूँ ।

तुम्हारे अहम की सारी अग्नि ,

सारी उष्णता का तेज जज़्ब कर लेगी

--मेरी हरीतिमा।

हे ' सूर्य ' -तुम पुरुषत्व का पुंज हो ,

तो मैं भी ' स्त्रीत्व ' की सहनशीलता हूँ

यही मेरी स्त्री शक्ति की पहचान है।

भानु !कभी तेज से परे जा कर ,

शीतलता की कल्पना करना !

तब तुम अंतर से भावना -सापेक्ष ,

बाह्य से अहम - निरपेक्ष हो जाओगे ।

पर तुमसे पूर्व ही मैं तुम्हारी अर्धांगिनी ,

धरा - स्त्रीत्व के सूर्यत्व का चरम हूँ ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational