न ऊँचाई से गिरने का भय बस चलती रही मैं तुमसे मिलने की अकुलाहट लिए न ऊँचाई से गिरने का भय बस चलती रही मैं तुमसे मिलने की अकुलाहट लिए
आँसू भरी अमिट लकीरें पड़ी हुई थी आँचल में आँसू भरी अमिट लकीरें पड़ी हुई थी आँचल में
चिट्ठी खोल पढ़ने की उतावली हँसना रोना साथ मुस्कुराना चिट्ठी खोल पढ़ने की उतावली हँसना रोना साथ मुस्कुराना