कृष्ण की छवि
कृष्ण की छवि
किशन कन्हाई की कमलिया है कारी कारी,
कारो कारो कजरा कन्हाई कै लगत है।
भुजमूल केश कारे घिरे घने घुंगरारे,
जैसे घाम कारे कारे घन में दबत है।
कंठ काली कोकिला सा कान्हा का कमाल लगे,
वाणी मधु मिश्री सी कानों में घुलत है।
सोच छवि साँवरे की कहता है सोनू मीना,
सहसमुखी भी छवि कह ना सकत है।
