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Dr. Poonam Gujrani

Tragedy

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Dr. Poonam Gujrani

Tragedy

धरती का मन

धरती का मन

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ताता थैया, ताता थैया

रोती देखो धरती मैया।

जल, थल, नभ सब हुए प्रदूषित

मानव का मन है आतंकित

कब हो जाए परलय भैया

रोती देखो धरती मैया।


कौन सुने जंगल का दुखड़ा

गौरैया का धर भी उजड़ा

पनघट सूना, प्यासी गैया

रोती देखो धरती मैया।


सिक्कों से साधन सब पाये

किन्तु ईश का भजन न गाये

कैसे मिले राम हे दैया

रोती देखो धरती मैया।


चिन्तन के सब ताले खोलो

धरती का मन अरे टटोलो

बनो स्वयं अपने खैवया

क्यों रोये फिर घरती मैया

ता ता थैया, ताता थैया।



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