गीत मेरे भीतर गीत कोई गाता है
गीत मेरे भीतर गीत कोई गाता है
जीवन की आपाधापी में
उलझे सुलझे रिश्ते नाते
दिव्य कल्पनाएं आगत की
खुले अतीत के कितने खाते
अंगारों की बिछी सेज पर जो सावन बन आता है
मेरे भीतर गीत कोई गाता है ।
आशा की किरणें देहरी पर
सपनों का सौदा करती है
प्यासी मिट्टी के आंगन में
जाने कितने रंग भरती है
कांटों की बगिया में फूलों का परचम लहराता है
मेरे भीतर गीत कोई गाता है।
कितने वादे रहे अधूरे
फिर भी कायम है विश्वास
रात अंधेरी मगर सितारे
देते पग पग पर आश्वासन
टूटे तारों को जोड़े जो अंतस को सहलाता है
मेरे भीतर गीत कोई गाता है।
