कोई ग़ज़ल सुना
कोई ग़ज़ल सुना
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चल बैठें पल दो पल कोई ग़ज़ल सुना,
जीवन हुआ पजल, कोई ग़ज़ल सुना।
उलझा ही रहता है जीवन का गणित,
निकले इसका हल, कोई ग़ज़ल सुना।
भूखे-प्यासे कितने लोग बताओ तो,
क्या होगा रे कल, कोई ग़ज़ल सुना।
ख़ामोश महफ़िल, बोझिल है मौसम
कर थोङी हलचल, कोई ग़ज़ल सुना।
जानी पहचानी है सबकी ही शक्लें,
'पूनम' जरा संभल, कोई ग़ज़ल सुना।
