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Dr. Poonam Gujrani

Abstract

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Dr. Poonam Gujrani

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दोहे

दोहे

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माटी मटका रूप धर, करता बड़ा कमाल।

धरे कमर पर गोरड़ी, हो गया मालामाल।।


माटी पानी में मिले, सहन करे फिर आग।

सबकी प्यास बुझाय फिर, गाए शीतल राग।।


गागर में सागर भरे , पनिहारिन घर जाय।

तृप्ति दे परिवार को, सुख स्वर्ग सा पाय।।


माटी जब मटका बने, कीमत करते लोग।

मेहनत करते जो यहां, उसे मिले संजोग।।


दो गागर माथे धरी,  दो गागर धर हाथ।

ठुमक चले पनिहारियां, बातें सखि के साथ।।


नेह नीर सा राखिए, बूंद बूंद अनमोल।

इसके बिन जीवन नहीं, लो अंतर्मन तोल।।



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