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Supriya Devkar

Tragedy

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Supriya Devkar

Tragedy

मेरा दिल

मेरा दिल

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मेरा दिल वो समंदर है

जिसकी गहराई में छिपे है

बहुत सारे राज 

सोचती हूँ तुम्हें बताऊँ 

उनमें से कुछ आज

तुम ही तो हो वो शख्स 

जो साथ था हर पल

कितने भी आए बादल दुखो के 

हर जख्म का निकाला मिल के हल

बाते जबान तक ना आयी कभी 

दिल में दबायी कितनी बार

अवसर कितने छूट गये 

दिल ने पचायी कितनी हार

क्या कुछ नहीं छिपा यहाँ 

हर वक्त का है हिसाब 

इस दिल के समंदर की

बन जाए एक किताब 



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