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Raghav Dixit

Tragedy Inspirational

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Raghav Dixit

Tragedy Inspirational

जीवन का साध्य - कविता

जीवन का साध्य - कविता

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चाह नहीं मैं कवियों का सिरमौर बनूं?

चाह नहीं मैं कविताओं का सौर लिखूं।


कविता केवल कवियों की अभिव्यक्ति नहीं।

बदल सकती है ये भूमंडल का परिवेश कहीं।

कविता केवल मन रंजन की युक्ति नहीं।

इसमें निहित है ब्रह्म अस्त्रों की शक्ति कहीं।


निःशस्त्रों का शस्त्र है कविता।

देशभक्त का अस्त्र है कविता।

देशों का परिवेश है कविता।

संस्कृतियों का उद्देश्य है कविता।


व्यापारों का यान नहीं है कविता।

दम्भियों का मान नहीं है कविता।

अहम जड़ित ज्ञान नहीं है कविता।

मन बहलाने का साध्य नहीं है कविता।


सुंदरता का श्रृंगार है कविता।

वंचितों का अधिकार है कविता।

करुणाओं का सार है कविता।

वीरों का अंगार है कविता।


नराधम हैं बड़े इस जग में।

पेशा देखते हैं एक कवि में।

नराधम कविताओं का व्यापार कर सकता है?

गीदड़, सिंह छाल कब तक ओढ़ सकता है?


चाह नहीं मैं कविताओं का पारावार लिखूं।

शक्ति इतनी मिले कि सत्य सौ-सौ बार लिखूं।



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