गुंडे चमक गए
गुंडे चमक गए
राजशाही कहां खत्म हुई ?
राजधानियों के स्वरूप बदल गए
प्रजातंत्र की आड़ में
चंद सामंती गुंडे चमक गए
प्रजा का शोषण तो तब भी था
बस शोषण के ढंग बदल गए
फुटपाथ पर पड़े
नंगे तन और भूखे पेटों से पूछो
स्वतंत्रता से उन्हें क्या मिला?
गुलाम तो तब भी थे
बस मालिकों के चेहरे बदल गए।
