संविधान हूं मैं
संविधान हूं मैं
अवगुणों की खान हूं मैं
द्वेषपूर्ण मानसिकता की
पहचान हूं मैं
आजादी के बाद भी
मानसिकता से गुलाम हूं मैं
भारत का संविधान हूं मैं
सोचा था आजादी के बाद
हर गुलामी से मुक्ति मिलेगी
नए भारत को गढ़ने की
नवीन युक्ती मिलेगी
मैं वो अभागा हूं
जातिवाद जिसकी जड़ है
विभाजन जिसकी पहचान
मैं हूँ आजाद भारत का
गुलाम संविधान
मैंने राजनीति में
ऐसी व्यवस्था कर दी
हलवाई के हाथों में
सिलाई- मशीन रख दी
मैंने शिक्षा को
व्यापार कर दिया
गुलामी को
रोजगार कर दिया
सृजन को
दरकिनार कर दिया
युवाओं को
बेरोजगार कर दिया
नंगे तन भूखे पेट
सड़कों पर पड़े
इंसानों को
मुझसे क्या काम है
चंद सामंतों ने थामी
मेरी लगाम है
मैं उनका गुलाम हूं
मैं आजाद भारत का
संविधान हूं
