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Ruchi Singh

Abstract Tragedy

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Ruchi Singh

Abstract Tragedy

जुदाई!

जुदाई!

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पता नहीं क्यों ये दिल रोता है।

पता नहीं क्यों यह आंखें नम होती। 


पता नहीं -

पता नहीं क्यों तुम्हारी याद आती है।

पता नहीं क्यों यह दिल बेचैन होता है।


पता नहीं- 

पता नहीं क्यों दिल तड़पता है, याद करता है। 

पता नहीं क्यों यह जुदाई होती है, तन्हाई होती है।


पता नहीं-

पर दिल को कहीं और लगाना होगा।

अभी तो टाइम है, समय बिताना होगा।


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