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Ruchi Singh

Romance

2  

Ruchi Singh

Romance

ख्वाबों का आशियाना!

ख्वाबों का आशियाना!

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ख्वाबों के मकान बनते बनते ही ढह गए। 

खुशी के आंसू पलकों पर ही रह गए।

कभी देखे थे ख्वाब साथ बनाएंगे एक आशियाना।

छोटा सा ही सही पर विश्वास का मंजर होगा।

थोड़े हम थे गलत शायद सही तुम भी नहीं।

 यह था तकदीर का अफसाना।

जिसने बिखरा दिया मेरा वो ख्वाबों का आशियाना। 

आज ना आशियाना है पास में ना तुम।

मंजिलें ही शायद और थी जो बदल गई। 

दिल में एक खलिश सी आज भी उभरती है।

आंखें थोड़ी देर के लिए ही सही नम हो जाती हैं। 

तुम दूर चले गए हो, यही शायद हकीकत है। 

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