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Shruti manjari Mishra

Abstract Tragedy

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Shruti manjari Mishra

Abstract Tragedy

मादकता के मारे

मादकता के मारे

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मादकता के मारे

अंधे मनुष्य सारे

मृगतृष्णा की भूमि पर आकर

अब हैं जीवन हारे


मोह के मद में फसकर 

लिप्त हो गए सारे

अब इस मृत्यु की सैया से

इनको कौन उबारे


लाज करुणा मोह सब त्याग अब

उगल रहे अंगारे

माता का आंचल छोड़ अब

स्त्री के वस्त्र उतरे


मादकता के मारे 

अंधे मनुष्य सारे।


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