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Shubhra Varshney

Abstract

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Shubhra Varshney

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मेरे प्रिय भाई बहनें

मेरे प्रिय भाई बहनें

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धागे यह कच्चे नहीं हैं पके हुए हैं प्यार से,

भाई बहन के ना मिटने वाले दुलार से।

प्रीति के धागे जोड़ते हैं स्नेह की डोरी

वह बचपन की यादें वह लड़ाई की बोली।

सावन में बरसात की बूंदें हैं

मेरे जीवन का अटूट हिस्सा

 हजारों नहीं लाखों में एक

वह कोई और नहीं मेरी प्यारी बहनें है।

कभी फायर बिग्रेड बन जाती हैं

कभी तुरंत आईडिया सुझाती हैं

मेरी हर परेशानियों का

तुरंत हल ढूंढ कर लाती है।

कभी छोटी बातों पर झगड़ती हैं

कभी मीठी बातों से मुझे मनाती हैं

कभी मेरी दादी बनती हैं

तो कभी सच्ची दोस्त बन जाती हैं।

मेरी छोटी छोटी कामयाबियों पर

मुझसे ज्यादा खुश होती हैं

कभी मेरे दुखी होने पर

मेरे सारे गमों को समेट लेती हैं।

सात समुंदर पार वह बैठी

है मेरी अनकही बातों की जुबान

दोनों मेरी प्यारी बहनें

मेरी मुस्कुराहटों का रखती मान।

भाई मेरा जग से प्यारा

बचपन से वह मेरा दुलारा

उसने मेरी बसती जान

वह मेरे परिवार की आन।

खुश किस्मत हूं मैं इतनी

करती हूं उन्हें रोज याद

उन तीनों की जिंदगी रहे खुशनुमा

बस यह है मेरी फरियाद।


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