STORYMIRROR

अमित प्रेमशंकर

Abstract

4  

अमित प्रेमशंकर

Abstract

अब डटकर लड़ना होगा !

अब डटकर लड़ना होगा !

1 min
724

गदा तीर तलवार उठा लो

अब डटकर लड़ना होगा

बहुत पढ़े हम पाठ प्रेम का

अब प्रतिशोध पढ़ना होगा।।


बहन बेटियों की आबरू

कब तक हम गंवाएंगे

हाथ सिरहाने रख कर यूं ही

कब तक सोते जाएंगे।


उठो चलो संग्राम करो

अब प्रहार करना होगा

गदा तीर तलवार उठा लो

अब डटकर लड़ना होगा।।


नीच निराधम असुरों की

ऐसे मन बढ़ते जाएगी

कभी बेटियां तेरी तो

बहनें बली चढ़ती जाएगी।


कर दो नाश निशाचर का

दूजा न कोई पैदा होगा

गदा तीर तलवार उठा लो

अब डटकर लड़ना होगा।।

दरबार यहां अंधों का है


क्या ? रक्त हमारा देखेगा !

प्रलय ला दो प्रचंड बनकर

कि रोष वक्त भी देखेगा।।

खाल खींच ले क़ातिल का

ये बल सब में भरना होगा

गदा तीर तलवार उठा लो

अब डटकर लड़ना होगा।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract