कोई जा के ला दो मेरी सिया
कोई जा के ला दो मेरी सिया
कोई जा के ला दो मेरी सिया
रो रो के बेसुध हुआ ये जिया
कोई जा के ला दो मेरी सिया ।।
प्राणों से प्यारी, सिया सुकुमारी
खोजत ढूंढत अंखियन भी हारी
हाय रे विधाता तू ये क्या किया
कोई जा के ला दो मेरी सिया ।।
हे वन के देवों, कोई तो बता दो
कहांँ है प्रिया मेरी कोई पता दो
हे वन के प्राणी क्या देखी सिया
कोई जा के ला दो मेरी सिया ।।
सीते,सीते रटत कंठ सूखे
भटके लखन संग प्यासे भूखे
देह है राम तो प्राण सिया
कोई जा के ला दो मेरी सिया ।।
कवि - अमित प्रेमशंकर
