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अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Others

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अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Others

क्या सचमुच तुम ना रोओगी

क्या सचमुच तुम ना रोओगी

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 क्या सचमुच तुम ना रोओगी





प्रेम को मेरे ठुकरा कर

क्या साथी चैन सोओगी

आँखों में आंसू देकर

क्या सचमुच तुम ना रोओगी। 



मुझे पता है हृदय तेरा

भीतर की ज्वाला क्या है 

सीप से मोती के संगम में

आंसू का प्याला क्या है

मुझसे होकर दूर विरह की

गीत कोई न गाओगी 

आँखों में आंसू देकर

क्या सचमुच तुम ना रोओगी।



बैठ अकेले डाल पे पक्षी

क्या कलरव भी करते हैं

सच्चे प्रेमी बोलो क्या 

दुनिया से भी कभी डरते हैं

अपवादों के खातिर क्या 

हृदय पर बाण चलाओगी

आँखों में आंसू देकर

क्या सचमुच तुम ना रोओगी।



तड़पोगी तुम, चीखोगी

मुझसे ज्यादा चिल्लाओगी 

अर्थी के भीड़ में घुसकर 

कंधों से कांध लगाओगी 

जीते जी अपने अनुरक्ति को 

ऐसे आग लगाओगी

आँखों में आंसू देकर

क्या सचमुच तुम ना रोओगी।



कवि - अमित प्रेमशंकर ✍️ 







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