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अमित प्रेमशंकर

Tragedy Classics Inspirational

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अमित प्रेमशंकर

Tragedy Classics Inspirational

रखना लाज इस राखी का।

रखना लाज इस राखी का।

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रखना लाज इस राखी का

मेरे प्यारे भैया तू
बहना को न भूल जाना
रखना लाज इस राखी का
तू मुरलीधर बन जाना।

 चीखती रह जाती है द्रौपदी
अपने घर में भैया
खींचता रहता दुष्ट दुःशासन
आंँचल मेरे भैया
बन के कृष्ण कन्हैया मेरे
चीर की लाज बचाना
रखना लाज ये राखी का
तू मुरलीधर बन जाना ।।

 है ये बंधन नेह स्नेह का
ना कोई शक भैया
मांँगू तुझसे एक वचन
है मेरा हक ये भैया
बन के भाई हर बहना का
जग की लाज बचाना
रखना लाज इस राखी का
तू मुरलीधर बन जाना ।।

 कविः- अमित प्रेमशंकर


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