STORYMIRROR

अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Inspirational

4  

अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Inspirational

धरती को रौंद रहे पापी

धरती को रौंद रहे पापी

1 min
399

धरती को रौंद रहे पापी लालच ने आग लगाई इन जीवों की रक्षा हेतु तुम आ जाओ रघुराई। चीख रहे गज,मृग,मयूर तड़पे हर वन के प्राणी हरे भरे ईश्वर की बगिया दुष्टों ने उजाड़ी... बेघर हो गए जीव कई कितनों ने जान गंवाई इन जीवों की रक्षा हेतु तुम आ जाओ रघुराई। सियासती असुरों से भगवन धरती को बचा लो एक एक कर के हर रावण हर कंसों को सजा दो... आधुनिकता की फेर में फिर इंसान बना है कसाई इन जीवों की रक्षा हेतु तुम आ जाओ रघुराई। कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️   


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy