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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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विघ्न सब हर लो देवा

विघ्न सब हर लो देवा

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जय जय जय हो गणपति गणेश

करो कृपा सब पर तुम अशेष,

बल, बुद्धि, विधा सबको दे दो

उजियारा फैला दो तुम विशेष।


हे प्रथम पूज्य गौरी सुतनंदन

मंगल शुभ फल दो गजबदन,

ऋद्धि सिद्धि के तुम स्वामी देवा

आय विराजो चढ़ी मूषक वाहन।


चार भुजा और ओढ़े पीतांबर

मोहनी सूरत लगती सुखकर,

मोदक तुमको बहुत है प्यारा

संकट हर लो जीम उदर भर।


द्वार तुम्हारे हम सब आये हैं

तुम से विश्वास लगाए हुए हैं,

खाली हाथ न हम जाने वाले

जोड़ हाथ हम अड़े खड़े हैं।


तुम हो सबके विघ्न विनाशक

सबका मंगल करते सुखदायक,

प्रथम पूज्य तुम हो लंबोदर

करते न कभी निराश विनायक।


कब से हम खड़े पुकार रहे हैं

श्रद्धा संग बहु विश्वास लिए है

सब विघ्न हमारे हर लो देवा

नतमस्तक हो तेरे द्वार पड़े हैं।



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