STORYMIRROR

Swapnil Choudhary

Abstract Inspirational

4  

Swapnil Choudhary

Abstract Inspirational

"मुझको पहचान लो"

"मुझको पहचान लो"

1 min
404

ना जानो तो मान लो

ऐसे ना मुझको पहचान लो

दुनिया मे भेद बड़े है

ना जानो तो मान लो


क्यूँ पर्दा कर लिया

दिल वालो की बस्ती ने

तुमने क्या समझ लिया

मुश्किल से हल होता है


जिंदगी का ये सफर 

क्यों मानें हम बात दिल की 

दिल भी तो नादान नहीं

मंजिल फिर भी दूर रही


जिंदगी को छान लिया

कड़वे कड़वे बोलों को

दिल में कैसे उतार लिया

ना जानो तो मान लो

ऐसे ना मुझको पहचान लो


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract