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Swapnil Choudhary

Abstract Classics Others

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Swapnil Choudhary

Abstract Classics Others

एक बेटा और एक पति

एक बेटा और एक पति

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समझ नहीं आता कैसा हो गया हु मैं मां और पत्नी के बीच कैसा हो गया हु मैं ना कुछ बोलता हु ना कुछ सुनता हु पता नहीं कैसा हो गया हु मैं गुम सूम सा रहता हु पता नहीं कैसा हो गया हु मैं मन करता है खत्म कर लु खुद को फिर ख्याल मां और पत्नी का आता है पता नहीं कैसा हो गया हु मैं एक ने सब कुछ किया अब तक छोटे से बड़ा किया और सब कुछ दिया एक सब कुछ करेगी जिंदगी भर और सब कुछ देगी समझ नहीं आता कैसा हो गया हु मैं अब किसको बताऊं अपना दर्द दोनो में कोई सुनता ही नहीं है क्या करूं कोई तो बताओ समझ नहीं आता कैसा हो गया हु मैं समझ नहीं आता कैसा हो गया हु मैं.........


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