सागर /दरिया
सागर /दरिया
समस्त नदियां सागर में समाहित होती हैं
सागर के विशाल ह्रदय में समां सब एक होती हैं
जो बड़ा है वो ही समाने का हुनर जानता है
तभी तो सागर महासागर तक बन जाता है
सागर का पानी खारा क्यों होता है
क्यूंकि इसमें अनगिनत नदियों का मिश्रण है इसलिए
क्यूंकि ये सबके अलग अलग भावों को ग्रहण करता है इसलिए
या ये उन नदियों के पापों -श्रापों तक को ढोता है इसलिए
वैसे भी जो बड़ा होता है उसे बहुत कुछ सहना पड़ता है
राम को देख लो -सह कर -तप कर ही तो श्री राम हुए
युधिष्ठिर को देख लो -ऐसे ही तो नहीं धर्मराज हुए
और तो और विष पी कर ही नीलकंठ देवों के देव महादेव हुए
सागर बनना आसान नहीं है, यहाँ पाना नहीं देना पड़ता है
सागर बन कर खुद को भी प्यासा रहना पड़ता है
गौतम बुद्ध -शिरडी साईं -जनक -नानक -यीशु
निंदा -घृणा -अपमान -यातना -त्याग ही से तो सागर जैसे विशाल हुए।