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Vikas Sharma

Abstract Inspirational Others

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Vikas Sharma

Abstract Inspirational Others

संवेदना

संवेदना

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संवेदना का सम्बन्ध इंसानियत से है

संवेदना का जुड़ाव संस्कारों से है

संवेदना का जन्म पूर्व जन्मो के कर्मों से है

संवेदना एक दर्द का भाव और अहसास है


शिरडी के साईं ने बिन भेदभाव बिन जातिवाद सबके प्रति संवेदना रखी

प्रभु यीशु मसीह ने दीन दुखियों लाचारों के प्रति संवेदना रखी

सिख धर्म ने लंगर सेवा द्वारा हर गुरुभक्त और भूखे के प्रति संवेदना रखी

प्रभु श्रीराम ने तो नर -नारी -पशु -पक्षी -राक्षस तक के प्रति संवेदना रखी


आज इस कलयुग में संवेदना शनै शनै दम तोड़ रही है

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में संवेदना मुँह मोड़ रही है

सिमटते -टूटते -बिखरते परिवारों में संस्कार ही दफ़न होते जा रहे हैं

तो नई पीढ़ी संवेदना की वेदना कैसे समझेगी


संवेदना को जीवित रखना है तो मैं को त्यागना होगा

संवेदना का मर्म समझना है तो हम की ताकत को समझना होगा

संवेदना को प्रेम में बदलना है तो

मोबाइल लैपटॉप टीवी को छोड़ साथ में बैठना होगा

जब एक दूसरे के प्रति करुणा -प्रेम -समर्पण -त्याग जाग्रत होंगे

तो संवेदना स्वतः धारा बन धरा पर बहेगी


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