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Ashfia Parvin

Abstract

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Ashfia Parvin

Abstract

कुछ ना कहना ही ठीक है

कुछ ना कहना ही ठीक है

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कुछ ना कहना ही ठीक है

यहाँ कहने से पहले हज़ार बार सोचना पड़ता है

यहाँ एक बात का लोग हज़ार मतलब निकाल लेते हैं

यहाँ सब आपके बात को सुन के जज करने वाले हैं

यहाँ शायद ही लोग आपके बात को समझने वाले हैं

इसलिए कुछ ना कहना ही ठीक है।


कुछ ना कहना ही ठीक है

क्यूँकि अब तो मुझे खुद के बातों से डर लगने लगा हैं

पता नहीं चलता मैं कब क्या कह जाती हूं

फिर जब समझ आती हैं तब बहुत देर हो जाता हैं

खुद से किया हुआ वादा नहीं निभा पा रही हुँ

इसलिए अब तो मुझे खुद से बात करने को डर लगता हैं

इसलिए कुछ ना कहना ही ठीक है।


कुछ ना कहना ही ठीक है

क्यूँकि अगर अपनी कविता से किसी को मोटीवेट नहीं कर पाई तो डीमोटिवेट भी नहीं करना चाहिए

क्यूँकि अगर अपनी बातों से किसी के चेहरे में मुस्कान ना ला सकूँ तो हर्ट भी नहीं करना चाहिए

क्यूँकि अगर अपने बातों से पूरा माहौल को सुधार ना सकूँ तो बिगड़ना भी नहीं चाहिए

क्यूँकि बेमतलब की बातों से अच्छा चुप रहना हैं 

क्यूँकि अब तो मैं खुद अपने आप से नेगेटिव सेल्फ -टॉकस करती हुँ तो बातें मेरी अब पहली जैसी थोड़ी रहेगी

क्यूँकि अगर किसी का भला ना कर पाउँ तो अपने शब्दो से किसी का दिल दुखाना भी नहीं चाहिए

इसलिए कुछ ना कहना ही ठीक है।


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