अब ये ज़रूरी तो नहीं कि हर बात पे रोया जाऐ अब ये ज़रूरी तो नहीं कि हर बात पे रोया जाऐ
बाहर न जाने क्यूँ सिर्फ़ ख़ामोशी रह जाती है...! बाहर न जाने क्यूँ सिर्फ़ ख़ामोशी रह जाती है...!
तुमही बताओ अब कैसे हम उस भोर की राह तके || तुमही बताओ अब कैसे हम उस भोर की राह तके ||
मैं आज फिर खामोश हूँ और कलम दौड़ना चाहती है...! मैं आज फिर खामोश हूँ और कलम दौड़ना चाहती है...!
खामोशी, कहने को तो महज अल्फ़ाज़ है, लेकिन इसका अर्थ कुछ और है, खुद में इतने सारे अल्फाजों को समेटे ह... खामोशी, कहने को तो महज अल्फ़ाज़ है, लेकिन इसका अर्थ कुछ और है, खुद में इतने सारे...
कोई टूटा भी नही कोई छूटा भी नही वो चेहरा जो कभी रूठा भी नही ! कोई टूटा भी नही कोई छूटा भी नही वो चेहरा जो कभी रूठा भी नही !