कमल तेरी फिज़ूल कलम से...। कमल तेरी फिज़ूल कलम से...।
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।
कमल तेरी फिज़ूल कलम से ! कमल तेरी फिज़ूल कलम से !
एक लेखक के जुनून के बारे में कविता...। एक लेखक के जुनून के बारे में कविता...।
तुम्हारी किलकारियाँ, तुम्हारा बचपन, तुम्हारी पहली मोहब्बत, तुम्हारी जवानी, तुम्हारा बुढ़ापा, सब... तुम्हारी किलकारियाँ, तुम्हारा बचपन, तुम्हारी पहली मोहब्बत, तुम्हारी जवानी, त...
मैं आज फिर खामोश हूँ और कलम दौड़ना चाहती है...! मैं आज फिर खामोश हूँ और कलम दौड़ना चाहती है...!