खामोशी
खामोशी
इस रात की ख़ामोशी मुझसे बातें किया करती है
तेरे होने ना होने की खबर दिया करती है |
ये फ़िज़ाए आती है तेरा पता बताने
झूटी ही सही, मुझे तस्सल्ली दे जाने |
ये चाँद, तारे, जुगनू सब तेरे ही बाते करते है
ना जाने क्यों ये मुझे उलझाए रखते है |
की इन पलकों में तेरी याद के आँसू ना आये
तुम साथ ना सही पर तेरी कमी हमें छू ना पाए |
ये कैसे खेल,
कैसी तरकीबे सीखा दिए है इन्हें
तुमही बताओ अब कैसे
हम उस भोर की राह तके ||
