मोहब्बत
मोहब्बत
मोहब्बत के रास्ते में चलना
मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन थोड़ी है।
हो मोहब्बत अगर ग़ुलाब से, तो काँटों को भी अपनाना
दाग़ चाँद में भी होती हैं, यह भूलना थोड़ी है।
कभी धुप, कभी छाव,
कभी फूल भरी राह, कभी काँटों से भरी राह,
कभी खुशी, कभी ग़म
फिर भी हज़ार मुश्किल के बात भी, एक दूजे का हाथ छोड़ना थोड़ी है।
हो अगर मोहब्बत ग़ुलाब से, तो काँटों को भी अपनाना
हो अगर मोहब्बत चाँद से, तो दाग़ को भी अपनाना
हो अगर मोहब्बत रात में टिमतिमाते सितारों से, तो अंधेरों को भी अपनाना
मिले अगर ऐसा हमसफ़र तुम्हें, तो कभी भूल कर भी छोड़ना मत
क्यूँकि ऐसा हमसफ़र मिलना आसान थोड़ी है।
