माता -पिता
माता -पिता
सुपर हीरो कोई ऐसे ही थोड़ी बन जाता हैं
दिन और रात भर मेहनत करनी पड़ती हैं
अपने परिवार और अपने बच्चो के भविष्य के लिए
मेहनत से पैसे कमानी पड़ती हैं
अपने बच्चो के चहरे में मुस्कान देखने के लिए
खुद को मेहनत से गले और आराम को त्याग करनी पडती हैं
तब जा कर वै सुपर हीरो कहलाते हैं
और मेरे पापा भी मेरे सुपरहीरो हैं।
वो ही तो हैं, जो अपने परिवार को सुकून की नींद देने के लिए
खुद की नींद तक खुशी खुशी कुर्बान कर जाते हैं
वो ही तो हैं, जो अपने बच्चो के भविष्य के लिए
खुद अपने परिवार को चाहते हुए भी समय नहीं दे पाते हैं।
वो ही तो हैं, जो अपने बच्चो को सुख भरी जीवन देने के लिए
खुद ना जाने कितनी ज़ख्म को दिल में लेकर चलते हैं
वो ही तो हैं, जो बच्चो की ख़्वाहिशे पूरी करने के लिए
बहुत बार खुद की ख़्वाहिशो को अनदेखा कर देते हैं।
और हाँ, मेरी माँ, वो भी तो सुपरहीरो हैं
आख़िर, उन्होंने मुझे पुरे 9 महीने तक अपने कोख में जो रखा हैं
वो माँ ही तो होती हैं, जिनका दिल इस पृथ्वी से भी बड़ी होती हैं
वो माँ ही तो होती हैं, जिनका ममता समुन्द्र से भी
ज्यादा और गहरा,माँ की ममता होती हैं
वो माँ ही तो हैं, जिन्होंने अपने बच्चो के ख़ातिर
ना जाने अपनी खुशी की कितनी ही कुर्बानिया की हैं।
वो माँ ही तो हैं, जिनसे गले लगने के बाद सारे दुःख गायब हो जाती हैं
वो माँ ही तो होती हैं, जिनके आँचल से छुपकर, जिंदगी के धूप से बच जाते हैं
वो माँ ही तो हैं, जिनके दुआ के कारण, हम बड़ी बड़ी मुसीबतों को पार कर लेते हैं
वो माँ ही तो होती हैं, जो इस दुनिया में सबसे ज्यादा
हमारी फ़िक्र करती हैं और सच्चे दिल से प्यार करती हैं।
वो माता-पिता ही तो होते हैं, जिनके दिए हुए
संस्कार के कारण हमारा चरित्र बिन इत्र के भी मेहकता हैं
वो माता -पिता ही तो होते हैं, जिनके आशीर्वाद के कारण हम खुशहाल जिंदगी जी पाते हैं
वो माता पिता ही तो होते हैं, जो हमारी भलाई के लिए डांटते हैं
वो माता पिता ही तो होते हैं, जिनके लिए आज हमें यह प्यारी सी जिंदगी मिली हैं
वो माता -पिता ही तो होते हैं, जो हमसे बदले में कुछ ना चाहते हुए हमें सब कुछ दे देते हैं
वो माता-पिता ही तो होते हैं, जो हमसे सच्चा प्यार करते हैं
वो माता -पिता ही तो हैं, जो मेरी पहली मोहब्बत हैं।
और सच कहुँ तो...
यह मोदर्स डे और फादर्स डे अलग अलग क्यूँ मनाया जाता हैं
मेरा मतलब मैं नहीं लिख पाती हुँ, कोई कविता, दोनों के बिना
जैसे सूरज के बिना दिन अधूरा
और दिन के बिना सूरज अधूरा
जैसे सूर्यास्त के बिना संध्या अधूरी
और संध्या के बिना सूर्यास्त अधूरा
वैसे ही माँ के बिना पापा के लिए कविता लिखना
और पापा के बिना माँ के लिए कविता लिखना
मेरे लिए अधूरा रह जाता हैं।
वैसे आज ना ही मदर्स डे हैं
और ना ही फादर्स डे हैं
लेकिन तारीख ना हो कर भी
हर रोज़ ही जन्मदाता दिवस होती हैं।
मैं क्या लिखूँ, कितना लिखूँ, कैसे लिखूँ
जितना भी लिखूँ, सब कम पड़ जाए
कुछ प्यार ऐसे भी होते हैं
जिसके लिए अलफ़ाज़ भी बहुत कम पड़ जाए
अगर किताब भी बन जाए
वो भी कुछ नहीं हैं
आप लोगों के प्यार के सामने
बस सच्चे दिल से यह कह रही हुँ
की माँ और पापा, आप दोनों ही
मेरी पहली मोहब्बत हैं... मेरी पहली मोहब्बत हैं।